अज़ब समां है ,जहाँ का हर कोई हमसे रूठा रूठा लगता है ।
जाने क्या ख़ता हो गयी है हमसे जो ज़माना झूठा हमे समझता है ,
यार पता नही क्यों मेरे अपने भी मुझसे खफा है ।
जो दिल के पास था वो आज हमसे जुड़ा है ,
जाने ये कैसी रज़ा है ,
पास है वो मेरे पर दूर वो मुझसे रह रहा है ।
समझ नही आता गलती मेरी है या उसकी ख़ता है ,
क्यों हर गलती की सिर्फ मिलती मुझे सज़ा है ।
जाने क्या ख़ता हो गयी है हमसे जो ज़माना झूठा हमे समझता है ,
यार पता नही क्यों मेरे अपने भी मुझसे खफा है ।
जो दिल के पास था वो आज हमसे जुड़ा है ,
जाने ये कैसी रज़ा है ,
पास है वो मेरे पर दूर वो मुझसे रह रहा है ।
समझ नही आता गलती मेरी है या उसकी ख़ता है ,
क्यों हर गलती की सिर्फ मिलती मुझे सज़ा है ।
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