Women's Day
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कहते है औरत ही सभी समस्याओं की जड़ है ,

जड़ तो है बेशक है लेकिन समस्याओं की नहीं बल्कि दुनिया के प्रत्येक घटनाओं की, 

अपितु हम और आप यहां न होते,

मैं यूँ लिख नहीं रहा होता और आप इतने बिंदास पढ़ नहीं रहे होते है |

जीवन की प्रत्येक पड़ाव के प्रत्येक घटना में सिर्फ और सिर्फ औरत का ही हाथ होता है ,

एक घर बनाने से लेकर एक इंसान बनाने तक , 

आज मैं जो यहां पर हूँ एक औरत का ही हाथ है , 

उसने दर्द सह कर मुझे दुनिया दी।

मैं रोज गलतियां करता हूँ उसको डांटता हूँ मारता भी हूँ लेकिन मुझे वो रोज चाय लाकर देती है, 

मम्मी से मेरी गलतियां छुपाती है, पापा से मुझे बचाती है वो औरत मेरी बहन ही है जो मुझे पहले मारती है फिर मनाती है |

वो औरत ही है जो रात को थक कर आये इंसान से प्यार से बात कर घर की परेशानिओं को छुपाती है ,

वो औरत हर हद प्रयास करती है उसका बेटा घर से भूखा न निकले, 

सुबह जल्दी उठती है पति काम के लिए देर से न पहुंचे,

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वो औरत ही है जो घर की मान मर्यादा को कायम रखने के लिए खुद को अनजान परिवार को सौंप आती है,

हाँ मेरी आपकी और हर बाप की कामयाबी के पीछे वो ही होती है, 

वो घर संसार बसाती है पूरा परिवार बनाती है, 

उसे डर नहीं किसी का वो हर हालत में पहाड़ भी चढ़ जाती है, 

बेशक कितनी भी अनपढ़ हो घर में कोई बीमार हो तो खुद डॉक्टर भी बन जाती है, 

वो एक पैर से चल नहीं सकती फिर भी मैराथन में गोल्ड लाती है, 

वो औरत है खुद के दम पे कभी IPS तो  कभी IAS बन जाती है, 

डरता है पूरा मोहल्ला उनसे जब भी गली में हिटलर दीदी आती है, 

दिल खुश होता है उसे देख कर जो हमे सीने से लगाती है, 

वो औरत है उसके हौसले के आगे हौसले भी दम तोड़ जाते है, 

वो औरत ही है जिसके डांट से पूरी असेंबली काँप जाती है, 

वो औरत ही है जिसके एक बात से पूरी क्लास खिल खिलाती है, 

घर से लेकर शहर तक बस औरत ही औरत तो नज़र आती है कैसे भूल जाऊँ उसे जो कभी माँ बनकर मुझे खिलाती है, 

कभी बहन बनकर मेरी गलतिओं को छुपाती है , 

तो कभी एक दोस्त बनकर मुस्कुराना सिखाती है , 

वो औरत ही है जो सात जन्म साथ निभाने का वादा निभाती है ,

आज ८ मार्च २०२१ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिलाओं को कोटि कोटि नमन 

और हम सबका कर्तव्य बनता है हम भी प्रत्येक महिला का सम्मान करेंगे क्योंकि महिलाएं समाज की वास्तविक वास्तुकार होती है इसके साथ ही मनुस्मृति में भी एक श्लोक कहा गया है 

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यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।

यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।। मनुस्मृति ३/५६ ।।

अर्थात जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं,

जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है,

वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।

इसके अन्यत्र मनुस्मृति में ये भी कहा गया है की 

शोचन्ति जामयो यत्र विनश्यत्याशु तत्कुलम् ।

न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा ।। मनुस्मृति ३/५७ ।।

अर्थात जिस कुल में स्त्रियाँ कष्ट भोगती हैं,वह कुल शीघ्र ही नष्ट हो जाता है और जहाँ स्त्रियाँ प्रसन्न रहती है वह कुल सदैव फलता फूलता और समृद्ध रहता है । 

( परिवार की पुत्रियों, बधुओं, नवविवाहिताओं आदि जैसे निकट संबंधिनियों को ‘जामि’ कहा गया है| )