मैं दुकान से नान लेके अपने दोस्त के घर जा रहा था , मेरे सामने से चलता हुआ एक जवान लड़का आ रहा था , उसने मुझे कुछ कहा पर में सुन नही पाया । मैंने उसकी और रुख किया और उसकी नज़रे मेरी नज़रो से टकराई उसने फिर कुछ कहा मुझे फिर से कुछ सुनाई नही दिया । वह रुका और पुनः कुछ बोल पड़ा में फिर से कुछ समझ नही पाया सो बोल भी न सका ।
मैंने पूछा कहिये , उसने पूछा आप कोन सी क्लास (कक्षा) में हो ,
मैंने कहा कि 2nd Year कर रहा हूँ ,
फिर वो अंग्रेज़ी में कुछ धीरे से बोला , 
इस बार भी मैं उसकी भाषा समझने में नाकामयाब रहा , उस बात का मुझे फिर से अफ़सोस हुआ और मैं थोड़ा निराश हुआ लेकिन मैं अंत तक यही प्रयास में था कि उसकी बातें मैं समझ पाऊं पर ऐसा हो नही पाया , उसके बाद उसने मुझे अपने साथ चलने का प्रस्ताव दिया मैंने मना किया पर फिर भी वो मुझे ये कहते हुए अपने साथ ले गया कि एक एक लड्डू खाएंगे और वैसे भी हम और आप तो बस यहां दोस्ती निभा रहे है मैं भी मुस्कुराया और उसके साथ चल दिया कुछ 100 गज चलने के बाद एक हलवाई की दुकान थी ,उसकी जेब में मात्र 12 रुपए ही थे जिसे उसने निकाला और गिना और फिर पूछा लड्डू कितने के है तो दुकान वाले ने कहा कि 6 रूपए का एक लड्डू वही से उसने दो मोतीचूर के लड्डू लिए , 
मुझे तो लगा जैसे ये कोई चोर या कोई लुटेरा होगा जिसने मेरे हाथ में मोबाइल देखा और मुझसे बात करने लगा पर में उस वक़्त गलत था क्योंकि उसके हाव भाव मेरे प्रति ऐसे थे जैसे मानो वो मेरा बहुत पुराना साथी हो और मुझे अच्छे से जनता हो ।
स्वतः ही उसने मुझे एक लड्डू दिए और बोला की ये आपके हिस्से का था सो आपको मिल गया ।
सहसा ही मैं पूछ बैठा की आप यही काम करते है क्या ? क्योंकि उसके कपड़े सिमेंट और पैंट से सने हुए थे ।
उसने ज़वाब दिया की मैं यहां एक imported Person के पास काम करता था पर उसने मुझे धोखा दिया आपको तो पता ही है कि बड़े लोग कैसे होते है काम करवा लेते है और पैसे देने में आनाकानी करते है ।
पर उसने अपने काम के बारे में कुछ नही बताया इतना बोला की मैं बिल्डिंग्स का ठेका लेता हूँ और काम करता हूँ 
फिर बोला की एक फ्लौर नही लेता पूरी बिल्डिंग्स लेता हूँ ।
लेकीन असमंजस में था कि आखिर काम क्या करता है ठेका तो ठीक है पर किस चीज़ का ठेका लिपाई पुताई का , प्लास्टर का, घर बनाने का या फिर टाइल लगाने का ।
अंत में वो बोला की आप सीधे चले जाना और मैं यहाँ से अपने घर चला जाऊंगा और फिर वो मुड़ गया जाते जाते बोला यहां तक आने के लिए धन्यवाद ,
मैंने भी कहा की लड्डू के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

उसकी बातें और बात करने का तरीका और उसका अंग्रेज़ी में बात करना मुझे ये सोचने पर मजबूर कर गया कि आखिर ये अजनबी शख़्स था कोन जो बिना नाम बताए और पता बताये मुझे एक लड्डू खिला गया और मुझे वो बहुत ही ज्यादा समझदार लगा जो हालात का मारा था पत नही क्या था पर वो एक डीएम अलग था दुनिया में एक दम अलग ।