दिल्ली के मुख्यमंत्री माननीय श्री अरविन्द केजरीवाल जी का दिल्ली वासियो के नाम सन्देश ,
मेरे प्यारे दिल्ली वासियो आज 8 सितंबर आज के दिन हम वृक्षा रोपण करेंगे क्योंकि गत वर्ष हमारे द्वारा उठाया गया ऑड ईवन वाला कदम पर्यावरण हित में था मुझे आशा है कि हमारा ये कदम भी पर्यावरण हित में ही है इसमें कोई शक नही मुझे बस विद्यालय के समस्त विद्यार्थियों का सहयोग चाहिए और साथ ही उनके अभिभावकों का ताकि हमारी दिल्ली प्रदूषण मुक्त रहे ।
लिटिल ब्लॉगर का दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल जी के नाम सन्देश ,
प्रिय मुख्यमंत्री माननीय केजरीवाल जी मेरा आपसे अनुरोध है कि हमारी दिल्ली को वृक्षारोपण के साथ साथ समस्त विद्यालयों को डिजिटल बनाने और काग़ज बचाने का भी अभियान चलाना चाहिए क्योंकि पेपर के उत्पादन और उपयोग पर पर्यावरण के कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं।
पिछले 40 सालों में दुनिया भर में कागज की खपत में 400% की वृद्धि हुई है जिससे वनों की कटाई में वृद्धि हुई है, 35% पेड जो काटे जाते हैं वो पेपर के निर्माण के लिये इस्तेमाल किये जा रहे है। अधिकांश पेपर कंपनियों ने वनों को फिर से वन्य बनाने में मदद करने के लिए पेड़ों के पेड़ लगाए हैं। 10% से भी कम लकड़ी के गूदे पुरानी विकास जंगलों के काटने से आता है, लेकिन सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक है।कागज को सफेद (ब्लीच) करने के साधारण तरीके जो पर्यावरण मे अधिक क्लोरिन सहित रसायन (क्लोरिनेटड डाइअॉॉक्सिन) भी छोड़ते है। डाइअॉॉक्सिन को दृढ़ पर्यावरणीय प्रदूषक माना जता है, जिसके प्रयोग पर अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण है , डाइअॉॉक्सिन अत्यधिक विषैले होते हैं, और मानव पर स्वास्थ्य प्रभाव में प्रजनन, विकास, बीमारी से प्रतिरक्षा और हार्मोन संबंधी समस्याएं
शामिल हैं।
धन्यवाद
(सौजन्य आंकड़े : इंटरनेट )
मेरे प्यारे दिल्ली वासियो आज 8 सितंबर आज के दिन हम वृक्षा रोपण करेंगे क्योंकि गत वर्ष हमारे द्वारा उठाया गया ऑड ईवन वाला कदम पर्यावरण हित में था मुझे आशा है कि हमारा ये कदम भी पर्यावरण हित में ही है इसमें कोई शक नही मुझे बस विद्यालय के समस्त विद्यार्थियों का सहयोग चाहिए और साथ ही उनके अभिभावकों का ताकि हमारी दिल्ली प्रदूषण मुक्त रहे ।
लिटिल ब्लॉगर का दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल जी के नाम सन्देश ,
प्रिय मुख्यमंत्री माननीय केजरीवाल जी मेरा आपसे अनुरोध है कि हमारी दिल्ली को वृक्षारोपण के साथ साथ समस्त विद्यालयों को डिजिटल बनाने और काग़ज बचाने का भी अभियान चलाना चाहिए क्योंकि पेपर के उत्पादन और उपयोग पर पर्यावरण के कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं।
पिछले 40 सालों में दुनिया भर में कागज की खपत में 400% की वृद्धि हुई है जिससे वनों की कटाई में वृद्धि हुई है, 35% पेड जो काटे जाते हैं वो पेपर के निर्माण के लिये इस्तेमाल किये जा रहे है। अधिकांश पेपर कंपनियों ने वनों को फिर से वन्य बनाने में मदद करने के लिए पेड़ों के पेड़ लगाए हैं। 10% से भी कम लकड़ी के गूदे पुरानी विकास जंगलों के काटने से आता है, लेकिन सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक है।कागज को सफेद (ब्लीच) करने के साधारण तरीके जो पर्यावरण मे अधिक क्लोरिन सहित रसायन (क्लोरिनेटड डाइअॉॉक्सिन) भी छोड़ते है। डाइअॉॉक्सिन को दृढ़ पर्यावरणीय प्रदूषक माना जता है, जिसके प्रयोग पर अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण है , डाइअॉॉक्सिन अत्यधिक विषैले होते हैं, और मानव पर स्वास्थ्य प्रभाव में प्रजनन, विकास, बीमारी से प्रतिरक्षा और हार्मोन संबंधी समस्याएं
शामिल हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि दिल्ली में लगभग 1024 सरकारी विद्यालय है और समस्त विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या लगभग 18 लाख है और आपके द्वारा लिखा गया पत्र प्रत्येक विद्यार्थी को दिया गया है यानि अपने लगभग 18 लाख से ऊपर कागजो का प्रयोग किया है जो की 18 हज़ार पुस्तको के बराबर है ।वैसे तो सरकार द्वारा प्रदत्त पुस्तके मुफ्त है परंतु इन 18000 पुस्तकों का मूल्य देखे तो 100 रुपये के हिसाब से 18 लाख हो गए , इसके आगे में कुछ नही कहना चाहता ।अतः मेरे पास विद्यालयों में हो रही अवांछित गतिविधियों की कई जानकारियां है मेरा आपसे अनुरोध है कि उनको लेकर कोई कदम उठाया जाए ताकि आने वाला कल (विद्यार्थियों) अंधेरे में न गुज़रे ।उम्मीद है कि मेरी इस विनती को आप सुनेंगे और सुधार की प्रक्रिया शुरू होगी ।मेरे पास अन्य और भी योजना है जिसमे मुझे आपकी सहायता चाहिए
धन्यवाद
(सौजन्य आंकड़े : इंटरनेट )
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